यह कविता मेरे जीवन की सच्चाई है.... यह कविता मेरे जीवन की सच्चाई है....
मेरे सपनों का प्यार कुछ ऐसा होता जो मेरे जिस्म को नहीं रूह को संवारता, मेरे सपनों का प्यार कुछ ऐसा होता जो मेरे जिस्म को नहीं रूह को संवारता,
मुकद्दर ने हमें कभी, रुलाना नहीं छोड़ा। मुकद्दर ने हमें कभी, रुलाना नहीं छोड़ा।
मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कराहट की खातिर मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कर...
बाँस की हँस कर दोहरी होती टहनियाँ,जब बाँसुरी बन सजती हैं,कहती हैं व्यथा बिछोह की,किसी गडरिये के होठो... बाँस की हँस कर दोहरी होती टहनियाँ,जब बाँसुरी बन सजती हैं,कहती हैं व्यथा बिछोह की...
ऐसे ही मन के विचारों को कविता में बाँधा है, जो छू जाये मन को,ऐसा लक्ष्य साधा है। ऐसे ही मन के विचारों को कविता में बाँधा है, जो छू जाये मन को,ऐसा लक्ष्य साधा है।